ज्ञान मे निवेश जीवनभर फायदा देता है ! ज्ञान सबसे बड़ी ताकत है !

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Behind IT Education in INDIA

भारत की आईटी शिक्षा = सुरक्षा और विकास दौड़ मे अवरोध!

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हर पल बदलती आईटी क्षेत्रकी दुनियाके ज्ञान-व्यवसाय-उपयोगीता और सुरक्षा मे भारत कितना समर्थ है ?

            9 साल की उम्र का हर बच्चा ब्रिटन मे टेकनोलोजीकल रूप से एक्सपर्ट बन जाता है! एक कोम्प्यूटर सिक्यूरिटी कंपनी ई-सेट के सर्वे के अनुसार 9 सालकी उम्रमे यूके का हर बच्चा इन्टरनेट सर्फ करने लगता है, एसएमएस और इन्टरनेट मेसेज भेजने लगता है , उसका खुद का ई-मेल एकाउंट होता है, उसके बेडरूममे अपना अलग कोम्प्यूटर होता है !

            इस हिसाब से अगर हम गुजरात और भारतीय की बात करे तो आज वोट देने योग्य आयु वाले युवा भी कोम्प्यूटर और इन्टरनेट का उपयोग ठीक से नहीं कर पा रहे है ! जिसमे से करीब 30% मेरे सर्वेक्षण के अनुसार कोम्प्यूटर फोबिया से पीड़ित होते है, उनके मन मे कोम्प्यूटर एक जटिल और बहुत ज्यादा ज्ञान मांगनेवाली प्रणाली है और उसको हाथ अलगाने से नुक्सान हो जाएगा, बिगड़ जाएगा ऐसे काल्पनिक डरसे वह कोम्प्यूटर-मोबाइल जैसी चीजो से कतराते है !

9 yr old FactsNFiguresई-सेट सिक्यूरिटीके यूके सर्वे अनुसार 2

      आज ई-गवर्नन्स की दुनिया मे 80% से ज्यादा माँ-बाप, शिक्षक , सरकारी कर्मचारी, और कई ऐसे जो बाहर अपने क्षेत्र मे एकदम माहिर है, लेकिन आईटी की अज्ञानता उनको कई सदी पीछे धकेल रही है ! आज जरूरत है कोम्प्यूटर विषय को बहतर ढंग से प्रस्तुत किया जाये ! आसान शब्दो,राष्ट्रभाषा हिन्दीमे और विज्युयल का उपयोग करके लोगो के दिल से कोम्प्यूटरका खौफ निकाल देना है, उनको आईटी के हर सेकंड बदलते युगमे कदम मिलानेके लिए प्रोत्साहित करना अत्यंत जरूरी है अगर उनको भविष्य के भारत के जिम्मेदार नागरिक और अपनी क्षमताओ को सीमित ना रख कर वैश्विक फ़लक तक फैला शके उसके लिए आईटी सिस्टम का अधिकतम उपयोग करने को प्रेरीत किया जाना अत्यंत जरूरी है  !

  • सबसे गंभीर समस्या अभ्यासक्रम का पीछड़ापन और महत्तम जटिल बनाकर हो रही प्रस्तुती !

आज हर आईटी कोर्ष के दिग्गज मिलकर , सबसे शुद्ध गुजराती-हिन्दी और अन्य भाषाओ मे तकनीकी शब्दो का भी भाषांतर करके, [उदाहरण: कोम्प्यूटर का भाषांतर गणकयंत्र ] जटिल रूप से समज ना पाये ऐसा,

  • अभ्यासक्रम तय करे उसमे महीने [अनुमानित 6-8 महीने] लग जाते है, फिर उसे
  • संपादित और एडिट कर के छापने तक कई और महीने [अनुमानित 3-6 महीने] लग जाते है, और विद्यार्थी के हाथ मे और संस्थानो मे
  • वह किताब पहुंचे तो खुद प्राध्यापको को समजने मे महीने [अनुमानित 3-6 महीने] लगते है , फिर
  • उसी विषय को समजाने मे वक्त निकल जाता है, और आखिर कार
  • जब कोई विद्यार्थी अपना कोर्स, अभ्यासक्रम या डिग्री हासिल कर के बहार निकले तो उसने अर्जित किए ज्ञान मे और आधुनिक जरूरत के अनुसार ज्ञान मे करीब 2 से 4 साल का अंतर रहता है !
  • और उनका ज्ञान हकीकत की आईटी दुनिया, प्रोडक्ट्स और वह जो शिखे है उनको किस जगह और कैसे उपयोग मे लाया जाता है उसके बारे मे ना के बराबर होता है ! इसी लिए करीब हर कंपनी अपने नए भर्ती आईटी कर्मचारी को अपनी तरफ से 6 महीने से 1 साल ट्रेनिंग देती है और पगार और ट्रेनिंग दोनों का खर्च उठाना पड़ता है !
  • आज वैश्विक मंदी के समय मे हर कंपनी ऐसे कर्मचारी से बचना चाहती है, उनको तो नौकरी देने के दूसरे मिनट से कार्यभार संभाल ले ऐसा कर्मचारी चाहिए ! आज अगर कोई ऐसे आईटी शिक्षा संस्थानके विद्यार्थी हो जो वास्तविक आईटी क्षेत्र की जानकारी रखता हो तो हमारा देश ऐसे कौशल्य वाले धुरंधरों से भरा पड़ा है की, भारत दुनिया का सबसे बड़ा आईटी सॉफ्टवेर – हार्डवेर – टेलिकॉम का हब बनके उभर शकता है !
  •  स्वयं आईटी संस्थानो मे ज्ञान एवं नैतिकता की कमी

एक और बड़ी समस्या यह है की आज जीतने भी आईटी शिक्षा से संबधित सरकारी और निजी संस्थान है, वह खुद भी अपने इस विषय को नीरस, जटिल और असमर्थ तरीके से प्रस्तुत कर रही है ! हर संस्थान मे उसी विषय के शिक्षक और प्राध्यापक खुद अपनी डिग्री और नौकरी हासिल कर लेने के बाद खुद को नए संशोधनों और टेकनोलोजी के अनुसार ढाल नहीं पा रहे है ! वह एक बिन्दु तक पहुँच के खुदकों संतुष्ट बना लेते है, जब की दुनिया उस बिन्दु से कहीं आगे निकल कर रेखा बन कर हर सेकंड आगे बढ़ती जा रही है !

हर संस्थान का करीब एक ही उद्देश्य बस अर्थ उपार्जन और ज्ञान-मंदिर की जगह पैसे की फेकटरी ही बना रहता है, विद्यार्थी को समज मे आए ना आए उससे उसे कोई सरोकार नहीं ! और निजी संस्थान [जेटकिंग – आईआईएचटी – एनआईआईटी ] तो बस विद्यार्थी को एक अबुध ग्राहक की तरह लूटने मे ही लगी हुई है, जिसका अनुभव प्रत्यक्ष रूप से मैंने किया है !

21वी सदी सिर्फ कागजी सदी बनी हुई है हमारे देश मे, अगर हमे पूरी दुनिया को हमारी युवा ताकत और वैचारिक मौलिकता और संशोधनात्मक कौशल्य का लोहा मनाना है तो हर सरकार, हर संस्थान और हर नागरिकको इस दीशामे कदम बढ़ाने पड़ेंगे ,वरना वह दीन दूर नहीं की हमारा भारत पाकिस्तान और अफ़्फघानिस्तान की श्रेणियों मे आ जाये !

  • आज कितना सुरक्शित है भारत – चीन+पाकिस्तान+आतंकी संगठन V/S भारत+यूएस+यूके के सायबर वॉर के बीच ….. जो युद्ध आज चरम पर है ….!

कुछ समय पहले ऐसा होता था की , हेकिंग अटेक सिर्फ जिज्ञासा और जानकारी वश होते थे … की क्या मैं ये कर शकता हूँ .?.. इस साइट मे घुस शकता हूँ ..?.. इस साइट को खराब या बंद कर शकता हूँ ..?. लेकिन आज ऐसा नहीं है ….

आज हो रहे हैकिंग के हमले समसे ज्यादा प्रोफेशनल , सिस्टेमेटिक और राजनीतिक उद्देश्यों से किए जा रहे है ….. इस लिए …. चीन आज पाकिस्तान जैसे राष्ट्रो को भी अपनी तकनीक और ज्ञान दे कर भारत और विश्व के खिलाफ एक साजिस पूर्ण एशिया को कवर कर लेने की कोशिशों मे है …. ऐसा भारत के हम सब अंडरग्राउंड हेक्तिविस्ट [ हैकर+क्रांतिकारी देशप्रेमी] के ध्यान मे 6 सालो से आया था …  लेकिन … जिस तरह गुजरात के जीएसडबल्यूएएन सरकारी सर्वर पर रोज के हो रहे हैकिंग के 100 से ज्यादा के असफल प्रयत्नोको गिने तो, ना चीन चाहता है ना पाकिस्तान, की मोदी जी पीएम पद पर आगे बढ़े ! कुछ जानकारिया गोपनीय है… इस लिए मैं आपको लिंक नहीं दे शकता !
चीन और पाकिस्तान मे एक तरफ सरकार और आतंकी खुद फायनान्स दे कर ऐसे ग्रुप बना रहा है जो आतंक और अव्यवस्था के किसी भी देश की आर्थिक व्यवस्था पर चोट कर के…. अपनी साम्राज्यवाद की राजनीति कर रहे है ! और दूसरी तरफ विश्वशांति की तरफ रुख किए हम जैसे युवा है …. जो लगातार एक दूसरे के संपर्क मे है और जानकारियों और ज्ञान को बांटते रहते है …. !
उदाहरण : हमारी भारत की नौ सेना –विशाखापटनम ने आयात किए थे चीन से यूएसबी फ्लेश ड्राइव … जिसके फर्मवेर मे ऐसा सॉफ्टवेर पाया गया की ….. नौसेना की सारी गतिविधि और कंप्यूटर की जानकारी एक आईपी एड्रेस तक अपने आप पहुँचती रहे …! अब आज आप कोई सायबर केफे या इंस्टीट्यूट मे भी जाओ तो हर पीसी के यूएसबी पोर्ट कुछ जानकार नेटवर्क एंजिनियर बंद रखते है या कंट्रोल मे ….! तो देश की सुरक्षा के लिए हजारो किमी के समंदर से छौ तरफा सुरक्षा कर रही ये नौसेना अगर कुछ आयात करती है वो चीज फ्लेश ड्राइव …. और वो भी चीन से ? और अगर कोई बजट नहीं है तो ठीक है … पर उसकी सुरक्षा जांच किससे कारवाई या फिर ऐसा कोई डिपार्टमेन्ट ही नहीं है ? और अगर है भी तो सुरक्षा मे इतनी बड़ी चूक कैसे रह गई ?
ये है हमारे देश का हाल …. जो देश यूएन मे 2 सरदार को फोटो खिंचवाके दावा करता है की आकाश 2 टेबलेट भारत मे बना है और उसकी मेन्यूफ़ेक्चरिंग हिंदुस्तान सेम कनदकटर नामक एक संस्था और देताविन्द नामक एक कंपनी कर रही है ….! उसके प्लांट अमृत सर और हैदराबाद मे है …..!! वाह ! जब देताविन्द के मालिक ने इंकार किया की आकाश चाइना मेड नहीं है और ….सब भारत के इन दो कागजी कंपनियो मे 10,000 टेबलेट का खुद उत्पादन कर चुके है … उसी दिन जाना मैंने भी ! की देश को कागजो और मीडिया मे कितना आगे ले गए है कपिल सिब्बल और ये यूपीए सरकार ….!

*फर्मवेर : ऐसा सॉफ्टवेर जो हार्डवेर की चिप के अंदर होता है और उस साधन की सारी प्रकिया कंट्रोल करता है…….. आप जो अपना मोबाइल फोन खराब होने पर फ्लेश करवाते हो वो और कुछ नहीं …. मोबाइल कंपनी द्वारा उत्पादन के समय बनाई गई ओरिजिनल फर्मवेर का उसी चिप के अंदर दोबारा प्रस्थापन – इन्स्टोलेशन  है ! जो आपकी करप्त या भ्रष्ट हो चुकी फर्मवेर को बदले जाने के बाद आपका वही मोबाइल उसी तरह से चलता है जैसे आप के खरीदने के वक्त पे था !

*आईपी एड्रेस : इन्टरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस : जिस तरह आपका मोबाइल नंबर जो है वो दुनिया मे किसी औwhat is IP address2र का नहीं हो शकता ऐसा यूनिक –दूसरा नहीं हो ऐसा होता है उसी तरह इन्टरनेट से जुडने वाले तमाम साधन अपना एक अलग आईपी एड्रेस रखते है … और आप जो साइट एड्रेस खोल रहे है …www.facebook.com वो हकीकत मे आपको फेसबुक के आपके देश के सबसे नजदीकी वेबसाइट सर्वर के आईपी एड्रेस पर ही ले जाता है … जैसे आप नाम से अपने मोबाइल मे …फोन नंबर स्टोर करते है ॥ और उस नाम को डायल करो तो उसी व्यक्ति से संपर्क बना शकों ठीक उसी तरह से !

JUGAL PATEL

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